Monday, February 7, 2011

नया दोर


अस्सी के दशक कि माँ को चिंता 
सताती थी,
बेटी कही लव मेरिज न कर ले,
इसलिए समझती थी,
नब्बे के दशक में नया चलनं आया,
अपनी बिरादरी में हि शादी करना,
बेटी को यह समझाया,
लेकिन आज कि माँ 
बहुत घबराती हे,
अपनी बेटी को ये समझती हे,
बेटी भले हि लव मेरिज करना,
पर लड़के से हि करना,
लड़की से मत करना

3 comments:

  1. बहुत खूब इन्दर भाई....करारा व्यंग है आज के समाज पर! बधाई हो !

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  2. होली की बहुत बहुत शुभकामनाये आपका ब्लॉग बहुत ही सुन्दर है उतने ही सुन्दर आपके विचार है जो सोचने पर मजबूर करदेते है
    कभी मेरे ब्लॉग पे भी पधारिये में निचे अपने लिंक दे रहा हु
    धन्यवाद्

    http://vangaydinesh.blogspot.com/
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