अस्सी के दशक कि माँ को चिंता
सताती थी,
बेटी कही लव मेरिज न कर ले,
इसलिए समझती थी,
नब्बे के दशक में नया चलनं आया,
अपनी बिरादरी में हि शादी करना,
बेटी को यह समझाया,
लेकिन आज कि माँ
बहुत घबराती हे,
अपनी बेटी को ये समझती हे,
बेटी भले हि लव मेरिज करना,
पर लड़के से हि करना,
लड़की से मत करना
बहुत खूब इन्दर भाई....करारा व्यंग है आज के समाज पर! बधाई हो !
ReplyDeletetnx anand ji.
ReplyDeleteहोली की बहुत बहुत शुभकामनाये आपका ब्लॉग बहुत ही सुन्दर है उतने ही सुन्दर आपके विचार है जो सोचने पर मजबूर करदेते है
ReplyDeleteकभी मेरे ब्लॉग पे भी पधारिये में निचे अपने लिंक दे रहा हु
धन्यवाद्
http://vangaydinesh.blogspot.com/
http://dineshpareek19.blogspot.com/
http://pareekofindia.blogspot.com/