Monday, September 12, 2011

एक और इंकलाब.

देश को फिर से इंकलाब चाहिए,
भगत सिंह,सुभाष और आजाद चाहिए.
देश को फिर .............
राजनीति वेश्या सा बाजार हो गयी,
गूंगी बहरी आज सरकार हो गयी,
फूल वाले साम्प्रदायिक नारे लगते हे,
हाथ वाले लुट-लुट देश खाते हे,
हाथी,साईकिल सब लुटेरो की जमात हे,
ऐनक,तकड़ी पर भी गम्भीर इल्ज्मात हे,
जब से लालटेन चारा खाने लगा हे,
हाथी को जमीनों का स्वाद भने लगा हे,
राजनीति का स्वरूप निराला  हो गया,
आदर्श के नाम पर घोटाला हो गया,
महंगाई ये कैसी बेलगाम हो गयी,
सरकारे अब "मुन्नी" सी बदनाम हो गयी,
आम जन हर तरह निराश हो गया,
कर्षक अपनी हालत से हताश हो गया,
राजनेता लुटेरे और दलाल हो गये,
लुट-लुट देश मालामाल हो गये,
अन्ना जैसा कोई जाबांज चाहिए,
देश को फिर से इंकलाब चाहिए,
काश्मीर  घाटी आज भी सुलग रही,
सीमा पार से तोपें बारूद उलग रही,
कभी ताज,कभी संसद पर हमला होता हे,
कभी सीमा पर जवान जान खोता हे,
आतकवादी सस्मान कंधार जाते हे,
अन्ना जैसे देशभक्त तिहाड़ जाते हे,
किसान भूख से अपनी जान गवां रहे,
कसाब-अफजल चिकन और बिरयानी खा रहे,
न्यायालय की चोखट पर विस्फोट करते हे,
भारत माँ के सिने पर चोट करते हे,
नेताओ के पास तो केवल बयान हे,
इनका तो बस वोट बेंक पर ध्यान हे,
अजय आहूजा जैसा नोजवान चाहिए,
भगत सिंह,सुभाष और आजाद चाहिए,
देश में फिर...........

Tuesday, March 29, 2011

किरकेट का बुखार.

हर तरफ
विश्व कप किरकेट का खुमार हे,
पुरे देश पर किरकेटिया बुखार हे,
लगता नही कि
देश में कोई समस्या हे,
बेरोजगारी या भ्रटाचार कोई मसला हे,
जमाखोरी के खिलाफ 
कोई नही बोलता हे,
टिकटों कि ब्लेक पर 
हर किसी का खून खोलता हे,
हर कोई 
भारत के सेमी फ़ाइनल में पहुंचने कि ख़ुशी में 
चूर हे,
विश्व कप में हमने हर बार पाक को हराया,
इस बात का गरूर हे,
पाक प्रधानमन्त्री आ रहे हे
इस ख़ुशी में झूम रहे हे,
जब भी पाक राजनेता भारत आया,हमने धोखा खाया,
इस बात को 
भूल रहे हे,
किरकेट ने तो देश को खेल बना दिया हे,
किरकेट खेल हे देश नही
इस बात को भुला दिया हे,
विपक्षी खिलाडी आउट नही होता,
तो हर कोई माथा फोड़ता हे,
घुसपेथिये आउट नही होते
तो कोई नही बोलता हे,
केच छुट जाने पर 
मातम मनाते हे,
आतंकवादी छुट जाने पर
खून का घुट पीकर रह जाते हे,
भारत विश्व चेम्पियन बने,
"मेरी शुभकामनये" हे,
पर "भारत विश्व" गुरु बने,
ये मेरी भावनाए हे.

Monday, February 7, 2011

नया दोर


अस्सी के दशक कि माँ को चिंता 
सताती थी,
बेटी कही लव मेरिज न कर ले,
इसलिए समझती थी,
नब्बे के दशक में नया चलनं आया,
अपनी बिरादरी में हि शादी करना,
बेटी को यह समझाया,
लेकिन आज कि माँ 
बहुत घबराती हे,
अपनी बेटी को ये समझती हे,
बेटी भले हि लव मेरिज करना,
पर लड़के से हि करना,
लड़की से मत करना

Tuesday, January 25, 2011

कुर्बानी


याद करो उनको जो काले पानी की जेल गये,
अंग्रेजो की गोलियां हँसते-हँसते झेल गये,
देश याद रहा,बाकि सब भूल गये,
फाँसी के फंदे पर हँसते-हँसते झूल गये.

आज़ादी की कीमत

गाँधी जी ने अहिंसा से अग्रेजी सरकार झुकाई थी,
भगत सिंह ने धमाको से उनकी नींव हिलाई थी,
इस आज़ादी को सम्भाल कर रखना मेरे दोस्तों,
शहीदों ने इसकी कीमत जान देकर चुकाई थी.

Thursday, January 20, 2011

ये देश कहाँ जा रहा हे,
महंगाई बढती  जा रही हे,
गरीब की थाली उसका मुंह चिढ़ा रही हे,
प्याज बिना काटे हि आंसू दिला रहा है,
शासन सिर्फ  आश्वासन दिए जा रहा है.
और हमे,
शिला की जवानी,
और मुन्नी की बदनामी डर सता रहा है,
ये देश कहाँ जा रहा है.....
ताबूत के दलालों को सज़ा नही, 
टू जी घोटाले का अता-पता नही,
अब बोफोर्स का जिन्न फिर से बाहर आ रहा हे,
और देश का प्रधान-मंत्री
जेपीसी जाँच से घबरा रहा है.
और हमें ,
शिला की जवानी........
अरुशी के गुनहगार कौन हे,
कोन बतायेगा?
जेसिका के हत्यारों को 
सजा कोन दिलाएगा?
महिला विरुद्ध अपराधो में
मंत्रियों का नाम आ रहा हे,
कानून अपने आप में बेबस नजर आ रहा है,
और हमे,
शिला की ..............
................इन्दर पाल सिंह ,"निडर"

Tuesday, January 4, 2011

हड़ताल

एरे-गेरे राजनीती की दुकान सजाये बैठे है,
जिसको देखो जहाँ-तहाँ पर जाम लगाये बैठे है.
आरक्षण के मुद्दे पर बंधक बन गया राजस्थान,
आना-जाना दूभर हो गया आमजन हुआ परेशान,
रेल-पटरियों पर देखो गुर्जेर टेंट गढाए बैठे है,
जिसको देखो जहाँ-तहाँ ..................
कॉलेज में गुट बने हुए है ऐसी पढाई होती है,
जब देखो लात और घूंसे बिन बात लढाई होती है,
अपना प्रभाव जमाने हेतु हड़ताल कराए बैठे है,
जिसको देखो जहाँ-तहाँ...............
आयकर की रेड पड़े तो व्यापारी कर दे हड़ताल,
मिलावट के सेम्पल लेना बन गया अब जी का जंजाल,
कही पे पुतले और कही पे टायर जलाये बैठे है,
जिसको देखो जहाँ-तहाँ..............

...........इन्दर पाल सिंह,"निडर"