तेरी छाती का दूध पिया माँ,
उसको नही भुलाया हे,
पर धरती हम सब की माँ हे,
इसका कर्ज़ चुकाया हे,
शत्रु ने ललकारा था माँ,
सबक सिखा कर आया हूँ,
अमर हो कर आया हूँ,
क्या हुआ जिन्दा............
माना की तू ब्याहता मेरी,
मुझे प्राणों से प्यारी थी,
पर मात्रभूमि की रक्षा करना,
मेरी जिम्मेदारी थी,
सुहाग चिन्ह हे तुम्हे प्यार,
पर शहीद की विधवा का
सम्मान दिला कर आया हूँ,
क्या हुआ जिन्दा..........
स्कुल छोड़ने नही जाता तुमको,
दिल से मत लगाना तुम,
एक शहीद के बेटे हो
सोच-सोच इतराना तुम
तिरंगा तुमको कितना प्यारा,
उसे उढ़कर आया हूँ,
क्या हुआ जिन्दा ..........
प्यारी गुडिया सी बहना को
डोली में नही बिठा पाया,
रक्षा-बंधन पर दिया वचन
माना नही निभा पाया,
पर मात्र-भूमि की रक्षा का
वचन निभा कर आया हूँ,
क्या हुआ जिन्दा.......
तेरी ऊँगली पकड कर बड़ा हुआ में
अब कन्धा मुझे लगा देना,
देश-भक्ति की कहानियाँ
मेरे बच्चो को भी सुना देना,
तुमसे सुनी जो शोर्य कथाएं,
उन्हें दोहराकर आया हूँ,
क्या हुआ जिन्दा .............
घायल होकर भी लड़ता रहा में,
सांसो ने दगा दिया क्या करता?
तिरंगा उसपर लहराना था,
शहीद हो गयाक्या करता?
लहर-लहर लहराए तिरंगा,
इसे खून चड़ा कर आया हूँ,
क्या हुआ जिन्दा नही लोटा,
अमर हो कर आया हूँ,
क्या हुआ जिन्दा..........
..........इन्दर पाल सिंह 'निडर'