Tuesday, January 4, 2011

हड़ताल

एरे-गेरे राजनीती की दुकान सजाये बैठे है,
जिसको देखो जहाँ-तहाँ पर जाम लगाये बैठे है.
आरक्षण के मुद्दे पर बंधक बन गया राजस्थान,
आना-जाना दूभर हो गया आमजन हुआ परेशान,
रेल-पटरियों पर देखो गुर्जेर टेंट गढाए बैठे है,
जिसको देखो जहाँ-तहाँ ..................
कॉलेज में गुट बने हुए है ऐसी पढाई होती है,
जब देखो लात और घूंसे बिन बात लढाई होती है,
अपना प्रभाव जमाने हेतु हड़ताल कराए बैठे है,
जिसको देखो जहाँ-तहाँ...............
आयकर की रेड पड़े तो व्यापारी कर दे हड़ताल,
मिलावट के सेम्पल लेना बन गया अब जी का जंजाल,
कही पे पुतले और कही पे टायर जलाये बैठे है,
जिसको देखो जहाँ-तहाँ..............

...........इन्दर पाल सिंह,"निडर"

2 comments:

  1. मित्रो बहुत दिनों से कुछ लिख नही पाया.
    दरअसल जब ड्यूटी पर होता हूँ तो अपने ज्यादातर
    अपनी गाड़ी के डिब्बे में अकेला होता हूँ,तो लिख लेता हूँ.
    लेकिन राजस्थान में गुर्जेर आन्दोलन कर कारण गाड़ियाँ नही चल रही.
    तो अभी यही दर्द लिखा है.

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  2. kya khub likha hai sir ji................

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