सत्ता की चापलूसी मुझको नही आती,
हुस्न की अदाएँ मुझको नही भाती,देश के हालात से हैरान हूँ मै,
दिल्ली की ख़ामोशी से परेशान हूँ मै,
नहीं लिखूंगा पायल की झंकारो पर,
मैं बरसूँगा सत्ता के गलियारों पर,
लिखूंगा मै सीमा के जवान पर,
लिखूंगा मै हिमगिरी की शान पर,
नहीं लिखूंगा शीला की जवानी पर,
नही लिखूंगा मुन्नी की बदनामी पर,
मैं लिखूंगा "राजा' की बेईमानी पर,
लिखूंगा घोटालो की कहानी पर,
लिखूंगा मनमोहन की नादानी पर,
नहीं लिखूंगा गड्ढे वाले गालों पर,
लिखूंगा में नित नये घोटालों पर,
नहीं लिखूंगा बोलीवुड की शान पर,
मैं लिखूंगा भूखे हिंदुस्तान पर,
कैसे लिखूँ, पारो का क्या जलवा है,
मेरे लिए तो पारो एक अबला है,
बच्चन सी मधुशाला नही लिख पाउँगा,
मैं तो भूखे पेट का गाना गाऊंगा,
मैं लिखूंगा ड्रेगन के इरादों पर,
मैं लिखूंगा ओबामा के वादों पर,
नही भूलूंगा सीमा पर जवान को,
नही भूलूंगा कारगिल में बलिदान को,
लिखूंगा मन्दिर मस्जिद के नारों पर,
लिखूंगा फसादों में चीत्कारों पर,
बरसूँगा मै धर्म के ठेकेदारों पर,
लिखूंगा में साबरमती की आग पर,
लिखूंगा मोदी के उन्माद पर,
लिखूंगा में रामलला बेचारे पर,
लिखूंगा में अपने भाईचारे पर,
मेरे शब्दों में मजलूम की आवाज हो,
मेरे अंदर गुरुओं का प्रकाश हो,
मेरे अंदर "मुंशी" सा फ़ोलाद हो ,
मेरी कविता में सरस्वती का वास हो....
मेरी कविता में सरस्वती का वास हो....
..............इंद्र पाल सिंह"निडर"
bahut khoob desh bhakti se ot-prot raccna.
ReplyDeleteCharchayen hai Madhushala aur bhi kai kritiyon ki
ReplyDeletePar unmein nahin hai jhalak aajki vikratiyon ki
aapne utaara hai yun kavita mein aaj ka manjar
Utaar gaya ho nidar jaise dil mein koi khanjar
tnx kavita ji,
ReplyDeletetnx rahul ji.