Sunday, December 19, 2010

मेरी कविता


सत्ता की चापलूसी मुझको नही आती,
हुस्न की अदाएँ मुझको नही भाती,
देश के हालात से हैरान हूँ मै,
दिल्ली की ख़ामोशी से परेशान हूँ मै,
नहीं लिखूंगा पायल की झंकारो पर,
मैं बरसूँगा सत्ता के गलियारों पर,
लिखूंगा मै सीमा के जवान पर,
लिखूंगा मै हिमगिरी की शान पर,
नहीं लिखूंगा शीला की जवानी पर,
नही लिखूंगा मुन्नी की बदनामी पर,
मैं लिखूंगा "राजा' की बेईमानी पर,
लिखूंगा घोटालो की कहानी पर,
लिखूंगा मनमोहन की नादानी पर,
नहीं लिखूंगा गड्ढे वाले गालों पर,
लिखूंगा में नित नये घोटालों पर,
नहीं लिखूंगा बोलीवुड की शान पर,
मैं लिखूंगा भूखे हिंदुस्तान पर,
कैसे लिखूँ, पारो का क्या जलवा है,

मेरे लिए तो पारो एक अबला है,
बच्चन सी मधुशाला नही लिख पाउँगा,
मैं तो भूखे पेट का गाना गाऊंगा,
मैं लिखूंगा ड्रेगन के इरादों पर,
मैं लिखूंगा ओबामा के वादों पर,
नही भूलूंगा सीमा पर जवान को,
नही भूलूंगा कारगिल में बलिदान को,
लिखूंगा मन्दिर मस्जिद के नारों पर,
लिखूंगा फसादों में चीत्कारों पर,
बरसूँगा मै धर्म के ठेकेदारों पर,
लिखूंगा में साबरमती की आग पर,
लिखूंगा मोदी के उन्माद पर,
लिखूंगा में रामलला बेचारे पर,
लिखूंगा में अपने भाईचारे पर,
मेरे शब्दों में मजलूम की आवाज हो,
मेरे अंदर गुरुओं का प्रकाश हो,

मेरे अंदर "मुंशी" सा फ़ोलाद हो ,
मेरी कविता में सरस्वती का वास हो.... 
..............इंद्र पाल सिंह"निडर"

3 comments:

  1. Charchayen hai Madhushala aur bhi kai kritiyon ki
    Par unmein nahin hai jhalak aajki vikratiyon ki

    aapne utaara hai yun kavita mein aaj ka manjar
    Utaar gaya ho nidar jaise dil mein koi khanjar

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