मेरी तन्हाई का ये आलम है,
सावन की झिलमिल बरसाते,
या पूनम की शीतल रातें
मुझे तेरी याद दिलाते हैं,मुझे तेरी ....सरसों खेतो में लहराने लगी,
यौवन पर वो इतराने लगी,
मदमस्त हवा संग वो पौधे,
जब खेतो में लहराते हैं,
मुझे तेरी याद दिलाते हे,
मुझे तेरी.......
मै क्या जानू सावन को?
मै तो बस जानू साजन को,
जब काले बादल गरज-गरज
धरती की प्यास बुझाते हैं,
मुझे तेरी याद दिलाते हे,
मै क्या जानू सावन को?
मै तो बस जानू साजन को,
जब काले बादल गरज-गरज
धरती की प्यास बुझाते हैं,
मुझे तेरी याद दिलाते हे,
मुझे तेरी........
बागों में कलियाँ चहक उठी,
मदमस्त हवा भी महक उठी,
फूलों का यौवन तृप्त हुआ,
जब भवरें उनपर मंडराते हैं,
मुझे तेरी याद दिलाते हे,
मुझे तेरी.....
तुम संग देखे जो सपने,
जाने कब होंगे वो अपने,
आँखों में रोज संजोती हूँ,
आंसू बन कर बह जाते हैं,
मुझे तेरी याद दिलाते हैं,
मुझे तेरी याद......
.............इन्दर पाल सिंह 'निडर'
बागों में कलियाँ चहक उठी,
मदमस्त हवा भी महक उठी,
फूलों का यौवन तृप्त हुआ,
जब भवरें उनपर मंडराते हैं,
मुझे तेरी याद दिलाते हे,
मुझे तेरी.....
चंदा बादल की अठखेली,
जैसे प्रियतम संग अलबेली,
चन्दा भी हार कर जीत गया
जब बादल उस पर छा जाते है,
मुझे तेरी याद..........
तुम संग देखे जो सपने,
जाने कब होंगे वो अपने,
आँखों में रोज संजोती हूँ,
आंसू बन कर बह जाते हैं,
मुझे तेरी याद दिलाते हैं,
मुझे तेरी याद......
.............इन्दर पाल सिंह 'निडर'
sundar abhivyakti!
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